Wednesday, January 2, 2013

A letter to Justice Verma Committee #DelhiGangRape

Hon’ble Justice Verma and Respected Committee Members,
As Ministry of Home Affairs asked for the suggestions, here are my suggestion. I expect that respected members will go through these suggestions and will consider them while making appropriate laws to ensure that such heinous crime is not repeated in future…I know that no one can make a law which can ensure zero rape but laws should be such that a person is forced to think twice before committing such crime…Law should set an example to the society and should act as a relief to victim, then only it’s called “Justice”…
  1. सरकार के लिए पहला सुझाव है महिला भ्रूण ह्त्या के मामलों और "Human Trafficking" को संजीदगी से लेना| अगर हम बढ़ते बलात्कारों के प्रमुख कारणों की जड़ में जाएँ तो ये कारण ही प्रमुख हैं। “Demand and supply” का सीधा सा सिद्धांत है ये तो| पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में बलात्कार का सबसे प्रमुख कारण ये ही है| लेकिन इसका मतलब ये कदापि नहीं है कि शादी कि उम्र घटा दी जाये|
  2. दूसरा सुझाव है कानून को प्रभावी ढंग से लागू करना। देखने में आता है कि अदालतों से सजा प्राप्त मुजरिम भी पैरोल र महीनों बाहर मस्ती करते रहते हैं या पुलिस कि असफलता से या बाप के रसूख से अदालत सबूतों के अभाव में मुजरिम को ही बरी कर देती है| और अगर आप ये कहते हैं कि जनता गवाही नहीं देती तो इसका कसूर है कानून का, क्योंकि वो कानून जनता को ये भरोसा दिलाने में असफल रहा है कि गवाही देने वाले के साथ पूरा न्याय होगा| क्या पता गवाह को मुजरिम बाद में मौत के घाट ही उतार दे| कानून सबके लिए बराबर हो, चाहे वो राष्ट्रपति हों या एक आम आदमी या खाकी वाला या खादी वाला|
  3. पुलिस के सिपाही से इतनी सी तंख्वाह में ये आशा करना कि वो देश के लिए अपनी जान दे देगा तो माफ कीजिये वो इंसान है कुत्ता नहीं जो मालिक के लिए जान दे दे| आखिर पेट भी कोई चीज होती है, पर इन सब के बावजूद कभी कभी हमारी पुलिस बहुत अच्छा काम करती है, पर कुछ कंटकों की वजह से पूरी फ़ोर्स को बदनाम होना पड़ता है | सरकार से आशा है कि बलात्कार के मामलों के लिए हर तहसील मुख्यालय पुलिस थाने में अलग से दो सिपाहियों की नियुक्ति करे जिनमें से एक महिला हो तथा इनका मुख्य कार्य ऐसे मामलों को ही सुझाना हो और यदि ऐसा कोई मामला बाकी नहीं है तो ही इनसे बाकी कोई काम कराया जाये| इनका कार्यकाल तब तक रखा जाये जब तक कि ये लोग अपनी तहसील के हर इस तरह के केस को नहीं सुलझा लेते।
  4. “Rarest of rare” मामलों में फांसी की सज़ा सुनिश्चित की जाये| पर इस सज़ा का निर्धारण मामले की पूर्ण रूप से छान बीन और मुजरिम के इक़बालिया बयान के बाद ही हो, ऐसा न हो कि निर्दोष व्यक्ति मौत के घाट उतार दिया जाये क्योंकि मेडिकल रिपोर्ट शारीरिक सम्बन्धों कि पुष्टि कर सकती है पर संबंध बनाते वक़्त औरत की मानसिक स्वीकृति के बारे में जानने वाला कोई तरीका उपलब्ध नहीं है|
  5.  बलात्कार के मामलों में दी जाने वाली उम्र क़ैद की सज़ा की अवधि को बढ़ा कर तीस साल किया जाये जिससे अपराधी पंद्रह साल तक सलाखों के पीछे रह सके| साथ ही सुनिश्चित किया जाए कि अपराधी पैरोल पर छूट कर बाहर न आये।
  6.  न्यायालयों और पुलिस विभाग में खाली पड़े पदों को शीघ्रातिशीघ्र भरा जाये जिससे लंबित मामलों का शीघ्र निपटान हो सके| बलात्कार के मामलों के लिए ज़िलास्तर पर फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन किया जावे जिससे न्याय सही वक़्त पर मिल सके| बलात्कार के मामलों की समय सीमा तीन माह सुनिश्चित की जाए और इसके लिए तहसील स्तर पर नियुक्त उन दो सिपाहियों की मदद ली जावे जिनकी नियुक्ति का उद्देश्य है उस तहसील को बलात्कार मुक्त बनाना।
  7. पूरे देश में सरकारी बसों पर जीपीएस निगरानी सुनिश्चित की जाये और महानगरों में रात के ग्यारह बजे तक बसों की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो| प्रत्येक बस(प्राइवेट और सरकारी) की अंदर की ओर छत पर बस का रजिस्ट्रेशन नंबर बड़े बड़े आकार में लिखा जावे|
  8. बलात्कार के मामलों को लिंग के आधार पर अलग अलग नहीं देखा जावे अर्थात यदि ये सबूत पाये जाते हैं कि किसी औरत ने आदमी के साथ शारीरिक संबंध बनाने कि ज़बरदस्ती की तो उसके साथ भी वही सलूक किया जावे जैसा आदमी के साथ होता (बॉलीवुड ऐतराज फिल्म)| ऐसा कानून इसलिए जरुरी है क्योंकि महानगरों में लड़कियां पैसों के लिए अपना जिस्म बेचतीं हैं और पैसा मिल गया तो ठीक वरना बलात्कार का नाटक भी करती हैं और सिपाही को जिस्म बेचकर झूठे सबूत बनवाने में उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि ये उनका धंधा है, और ऐसे में फसता है वो आदमी जो उनके शरीर से आकर्षित हुआ था|
    हाल ही में मुंबई में 'Raped' senior citizen admits to consensual sex एक मामला हुआ जिसमें औरत ने आदमी पर बलात्कार का आरोप लगाया पर बाद में वो झूठा निकला, सच ये था कि सेक्स मर्जी से किया गया था। ऐसे मामलों में औरत को भी बराबर से सजा देने की जरुरत है क्योंकि रेप लिंग के आधार पर अलग नहीं हो सकता, औरत भी आदमी का रेप कर सकती है।
  9. मैं "Chemical Castration" का मुखर स्वर में विरोध करना चाहूँगा।।। कारण--- कारण ये है कि कानून का मकसद कभी भी बदले की भावना से काम करना नहीं होना चाहिए। कानून को ऐसा होना चाहिए कि वो लोगों के मन में भय पैदा कर सके, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हैवान को सजा देने के लिए हैवानियत पर उतरा जाए। "An eye for an eye" ये कानून हमारे देश में नहीं लागू हो तो बेहतर है क्योंकि फिर इसी तरह के कानूनों की मांग बाकी मामलों के लिए भी उठ सकती है, और उठनी भी चाहिए, हर नेता घोटाले की राशि देश को वापस दे या उसकी संपत्ति नीलाम हो, हर कातिल को फांसी मुक़र्रर हो आदि आदि। मगर मैं जानता हूँ ये मुमकिन नहीं है और ऐसा होना भी नहीं चाहिए, हमें समाज को हैवान नहीं बनाना। क्या हम Pakistan mob burns alive man accused of desecrating Quran ऐसे समाज का निर्माण चाहते हैं???


जिंदगी एक ऐसी चीज़ है जिसे इंसान आज तक नहीं बना पाया, किसी के पैदा होने पर इंसान का कोई नियंत्रण नहीं है पर हम मौत दे रहें हैं, ये ही अपने आप में बहुत बड़ी और काफी सज़ा है। और साथ ही साथ इस बात की क्या गारंटी है कि "Chemical castration" प्राप्त आदमी जानवर नहीं बन जाएगा, हो सकता है वो झल्ला कर बदले की भावना से मानसिक रोगी की तरह हर औरत के शरीर में रॉड डालने लगे, तब क्या हम समाज में ऐसे लोगों को बर्दाश्त कर पायेंगें जो औरत जात से भी नफरत करें? साथ ही साथ इस प्रक्रिया की सफलता(उसे नपुंसक बनाए रखने के लिए) के लिए हर तीन महीने में आदमी को दवा की जरुरत पड़ेगी अर्थात इस दंडप्रक्रिया को अमली जामा पहनाना लगभग नामुमकिन है।
  1. फिल्मों और टीवी पर बढती अश्लीलता पर रोक लगाई जाए। गाँव में बैठा हुआ शख्स टीवी पर वो हसीं दुनिया देखता है जो वास्तविकता में नहीं होती है, और जब वो शहर आता है तो वो उस दुनिया को तलाश करता है जहां हर लड़की प्यार करने को बेताब होगी पर हकीकत में ऐसी कोई दुनिया थी ही नही तब वो ऐसी दुनिया को बनाना शुरू कर देता है। माना फ़िल्में प्यार को दिखाती हैं लेकिन क्या फ़िल्में आज सिर्फ प्यार को दिखा रहीं हैं, क्या फिल्मों ने प्यार को सेक्स से replace नहीं कर दिया है?? प्यार का सेक्स से कोई रिश्ता नहीं है, ये बात आप भी जानते हैं और दुनिया भी लेकिन आज कल के लोग प्यार के नाम पर सेक्स पाना चाहते है और उनके प्रेरणा स्त्रोत हैं टीवी और फ़िल्में जिनमें पूनम पाण्डेय, शर्लिन चोपड़ा और सनी लिओन जैसी औरतें हैं जिन्हें अपना बदन दिखाने से कोई परहेज़ नहीं है, पर इसका नतीजा भुगतना पड़ता है उन लड़कियों को जिन्हें अपना बदन नहीं परोसना।
  1. आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण बात, वेश्यावृति को कानूनी करार दिया जावे| सरकार ध्यान दे कि सभी जानते हैं, ये धंधा तो होना ही है चाहे कानूनी हो या नहीं, तो क्यों न इसे कानूनी करार दे कर टैक्स ही वसूला जाये| एक पते कि बात ये होगी कि जब कुछ पैसे दे कर शारीरिक सुख भोगने को मिलेगा तो इंसान कि प्रवृत्ति के अनुरूप वो बलात्कार का रिस्क नहीं लेगा, बल्कि कुछ पैसे देकर अपनी भूख मिटा लेगा| मैं जानता हूँ ये इतना आसान नहीं है पर विश्व के कई देशों में ये कानूनी है, वहाँ के कानून से मदद ली जा सकती है। यकीन मानिये इससे बलात्कारों पर पूरी तरह नहीं पर बहुत हद तक रोक लगाई जा सकती है।
  2. Juvenile क़ानून में बदलाव जाए । जैसा कि पुलिस जांच में पता लगा है कि उस  से छेड़छाड़ की शुरुआत सबसे पहले उस नाबालिग ने ही की थी पर कानूनन उसे सजा नहीं हो सकती, क्यों ??? क्या कानून ये नहीं जानता कि बलात्कार जैसा गुनाह तो नाबालिग भी कर सकता है, बल्कि उसके ऐसा करने की सम्भावना ज्यादा है, तो फिर क्यों सालों पुराने आदर्शवादी लचीले कानून के सहारे इन गुनाहगारों को हम बच निकलने का मौका दे रहे हैं??? <<<Forgot to include this point in mail>>>

    Thanks and Regards
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